Voice Of The People

त्रिपुरा से पहली ग्राउंड रिपोर्ट: चकमाघाट इलाके में रोजगार है बड़ी समस्या

जन की बात अपने पहली ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए चकमाघाट पहुंचा. इस पहले पहले फेसबुक लाइव को जन की बात के सीईओ एवं फाउंडर प्रदीप भंडारी ने होस्ट किया.

जन की बात‘ की टीम से त्रिपुरा में बहुत लोगों ने बात की लेकिन कुछ ने बात करने से मना भी किया. सबसे पहले हमारे रिपोर्टर तहसीन रेज़ा ने बताया की लोगों के दिल में सीपीआई(M) को लेकर बहुत भय व्याप्त है.

यहाँ सड़कों की अच्छी व्यवस्था नहीं है, चूल्हा नहीं है, रोजगार नहीं है. लेकिन ज्यादातर ने हमसे बताया की वो इस बार भी सीपीआई(M) को ही वोट देंगे. शायद वो डरे हुए हैं. कांग्रेस और भाजपा अभी लोगों के बीच पहुँच नहीं बना पा रहे हैं. यह साफ़ तौर पर हमे मालूम चला की यहाँ डर की राजनीती की जा रही है.
हमारे लोकल रिपोर्टर/ट्रांसलेटर ने भी बताया की लोगों के बीच भय की राजनीती की जा रही है. सबसे पहले उन्होंने जाकर 2 लोकल बच्चों से बात की, उन्होंने हमे बताया की वो लोग अपनी पढ़ाई छोड़ चुके हैं क्यूंकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और उनके सर पर परिवार चलाने का बोझ है. हालाँकि उन्होंने सरकार में परिवर्तन की बात करी है.

इसके बाद फाउंडर सीईओ जन की बात, प्रदीप भंडारी ने बताया की डेमोक्रेसी में दो चीज़ें कभी नहीं होनी चाहिए, There should be no Deprevation and there should be no fear of deprevation. सीपीआई(M) के यहाँ आने से पहले कांग्रेस की सरकार से लोग खुश नहीं थे. इसलिए सीपीआई(M) ने इन्हे चावल और बम्बू देने शुरू किये, और सब्सिडी हर चीज़ पर मिली. इसलिए यहाँ सब लोग कहीं न कहीं सीपीआई(M) के पक्ष में हैं आज भी.
सीपीआई(M) के जगह जगह ऑफिसेस हैं. भाजपा ने हाल के समय में यहाँ अपनी काफी पकड़ बनाने की कोशिश की है वो भी युवाओं के जरिये.
हम जिस ट्राइबल इलाके में गए वहां ज्यादातर लकड़ी, बम्बू का काम होता है. लेकिन सवाल यह भी था की क्या इन चीज़ों का बाजार में उचित दाम मिल रहा है?
हमने दो युवाओं से बात की उन्होंने बताया की यहाँ गरीब आदमी को खाना, पानी, पैसा, रोजगार, नहीं मिलता. उन्होंने परिवर्तन की बात कही की 2018 में सत्ता का परिवर्तन होना चाहिए.
आगे एक और व्यक्ति ने हमे बताया की, “काम नहीं मिलता, हमे परिवर्तन चाहिए”. उन्होंने यह भी कहा की, “काम नहीं है, रोजगार नहीं है. उचित मूल्य नहीं मिलता”.
आगे एक रिक्षेवाले वाले से बात की, “हमे मौजूदा सरकार से कुछ नहीं नहीं मिला लेकिन हम उम्मीद करते हैं की इस बार जरूर कुछ मिलेगा”. परिवर्तन के नाम पर वो कुछ खास नहीं बोल पाया.
एक सीपीआई(M) के कार्यकर्ता ने बताया की रोजगार के लिए सरकार काम कर रही है. वाम सरकार शान्ति और मेलजोल की बात करती है.
इसके बाद प्रदीप भंडारी ने हमारे दर्शकों को बताया की त्रिपुरा में भय का वातावरण है. आम जन यह समझते हैं की अगर कोई दूसरी पार्टी की सरकार आ गयी तो शान्ति, सौहार्दय बिगड़ सकता है. रोजगार के अवसर त्रिपुरा में बिलकुल नहीं है. उसको लेकर रणनीति भी मौजूदा सरकार की कुछ नहीं है. भाजपा और कांग्रेस को अच्छे से जन के बीच जाकर बात करें और लोगों के बीच डर को ख़त्म करें.

SHARE

Must Read

Latest