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Pradip’s Take: गुजरात में चुनावी सरगर्मी पर मेरे कुछ अनुभव (PART 1)

जन की बात‘ युवाओं का महज़ एक पोर्टल ही नहीं परंतु चुनावों और खासकर के राजनीति के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करता हुआ एक मंच है जहां हम अपने दर्शकों और पाठकों को उन पहलुओं से रूबरू करवाते हैं जिन्हें मुख्यधारा का मीडिया कवर नहीं करता. हमारे समक्ष कई चुनौतियां भी रही है जिनमें से एक चुनौती यह भी  है कि हमें जमीनी हकीकत का अंदाजा घर बैठे नहीं मिल पाता पर यह समस्या मुख्यधारा का मीडिया किसी भी सूरत में हल नहीं करता दिखता है. जन की बात के जरिए हमारा यह प्रयास है कि हम आप तक मसलन हमारे दर्शकों और पाठकों तक उन मुद्दों को पहुंचा पाए जो बेहद जरूरी हैं और गुजरात चुनाव में हमारा यह निर्णय रहा कि हम ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए लोगों तक गुजरात 2017 चुनाव के मुद्दे पहुंचाएंगे.

हम यह मानते हैं यह महज एक चुनाव ही नहीं है बल्कि देश की दो बड़ी पार्टियों के बीच आर-पार और प्रतिष्ठा की लड़ाई है. जहां एक ओर गुजरात 2017 विधानसभा के चुनाव को भारतीय जनता पार्टी 2019 के केंद्र का चुनाव के पहले लिटमस टेस्ट के रूप में देख रही है वहीं कांग्रेस इस चुनाव को अपने उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सार्थकता एवं परिपक्वता देश को बताने के अवसर के रूप में देख रही है.

2019 के केंद्र का चुनाव भले ही अभी दूर हो लेकिन उसकी सरगर्मी अभी से महसूस होने लगी है और यह कहना गलत नहीं होगा कि यह चुनाव स्थानीय मुद्दों से हटकर राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जा रहा है. ‘जन की बात’ का CEO होने के नाते, मैंने इसे अपना कर्तव्य समझा की मैं आपके समक्ष Pradip’s Take नामक एक कार्यक्रम लेकर आऊं जिसके जरिए मैं अपने दर्शकों और पाठकों से रूबरू हो सकूं और उन्हें एक ऐसा परिप्रेक्ष्य दे सकूं जो जो उन्हें सतही नहीं बल्कि गहरी जानकारी देगा. तो इसी कड़ी में पेश है कुछ छोटे बड़े Pradip’s Take.

1. युवा क्या कहता है?

युवा रोजगार की बात कर रहा है और Smart Education की मांग कर रहा है. आज का युवा नारों से खुश होने वाला नहीं है बल्कि वह अपने नेताओं से सवाल करने का इच्छुक है और जनतंत्र में सत्ता की जवाबदेही ऐसे ही आती है.

 

2. मोदी घर का बच्चा है, गुजरात की जनता के पास है विकल्प की कमी

मोदी के लिए है लोगों के दिल में Soft-cornerऔर विकल्प की कमी होने के कारण भाजपा गुजरात में खतरे से बाहर है. इन सब का श्रेय पूरा पूरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है.

 

3. गुजरात के किस इलाके में क्या हैं Defining moments और मुद्दे

 

4. पाटीदार आंदोलन का क्या होगा?

“अनामत आंदोलन की शुरवाती और आज के उद्देश्य में अंतर आया है. पहले यह आरक्षण हटाने को लेकर था, आज यह आरक्षण की मांग पर केंद्रित हो गया है”.

पाटीदार आंदोलन, मसले सुलझा नहीं रहा वरन उलझा रहा है.

5. एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर काम आने वाला नहीं

6. प्रथम बार MLA प्रत्याशी और प्रथम बार वोट करने वाले युवा पर

 

To read Pradip’s top quotes on Gujarat Assembly Elections 2017, click here.

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